रूस को पड़ी गूगल की मार
किसी ने सही ही कहा है, वक़्त का पासा पलट सकता है, इसलिए सितम वही करो जो सह सको । आज रूस को यूक्रेन पर मिसाइल पर मिसाइल दागते देखकर यही पंक्तियाँ याद आती है । हमेशा से ही जर, जमीन और जोरू लड़ाई की वजह रही है । सबको पता है कि किसी का सबकुछ छीन लेने के बाद भी हम खाली हाथ ही इस संसार को छोड़कर जाते है । मगर दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बनने के लिए लोग किसी भी हद तक जाने से पीछे नहीं हटते । रूस का यही हाल है, वह फिर से अपने से आजाद हुए देश पर कब्ज़ा कर अपनी सत्ता का विस्तार करना चाहता है । ऐसा लगता है, पहले और दूसरे विश्व युद्ध से इस दुनिया ने कुछ नहीं सीखा। घातक डायनामाइट बनाने वाले अल्फेर्ड नोबल को भी यह सोचकर पछतावा हुआ था कि उन्होंने क्या बना दिया । शायद इसी वजह से उनके नाम पर शांति पुरुस्कार पूरी दुनिया के उन लोगों को दिया जाता है, जिन्होंने किसी भी क्षेत्र में सकरात्मक और प्रेरणा दायक प्रदर्शन किया हो ।
रूस की बात करे तो कितने सवाल हमारे मन में आते है कि क्या पुतिन भी जर्मनी के हिटलर के नक़्शे कदम पर चलने लग गया है । हर तरह से समर्थ रूस एक 27 लाख की आबादी वाले छोटे से यूक्रेन को नेस्तनाबूद कर क्या हासिल कर लेगा । उसकी ज़मीन बढ़ जाएगी पर पूरी दुनिया को उसके क्रूर और लालची होने का सदेश भी तो पहुँच जायेगा । लोगों के मन में रूस के प्रति हमदर्दी और अपनत्व की भावना समाप्त हो जाएगी । आज पूरा यूरोप और एशिया यूक्रेन के साथ खड़ा है । उसे अमेरिका और हर बड़े विश्व के संगठन जैसे नाटो, यूरोपियन यूनियन आदि उसकी मदद करने को तैयार है । साथ ही अमेरिका ने रूस पर हर तरफ से प्रतिबन्ध लगा दिया है और भी कई देश खुलकर रूस की आलोचना कर रहे हैं । अब दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल ने भी रूस को दरकिनार करना शुरू कर दिया है । गूगल क्लॉउड रूस से सम्बंधित कोई भी ग्राहक को स्वीकार नहीं करेगा । यूट्यूब और प्ले एप की भुगतान वाली सेवाओं को भी बंद कर दिया है । गूगल और यूट्यूब ने यहाँ तक कह दिया है कि इस तरह यूक्रेन की ऐसी तबाही की पहल पर रूस को अब गूगल और यूट्यूब ऑनलाइन विज्ञापन नहीं बेचेगा । नई टेक्नोलॉजी का लाभ भी रूस तक नहीं पहुँचेगा। ऑनलाइन मीडिया रिपोर्टर का कहना है कि गूगल ने तो रूस द्वारा दी जाने वाली भुगतान राशि भी लेना बंद कर दी है । किसी तरह का सब्सक्रिप्शन या कोई नई एप्लीकेशन रूस से न ली जाएगी या दी जाएगी । रूस के मास्टर कार्ड या डेबिट वीसा कार्ड के रद्द होने की भी सम्भावना बन रही है ।
अगर गूगल और यूट्यूब जैसी ऑनलाइन सर्विस प्रोवाइडर अपनी सेवाएं रूस को पूर्ण रूप से प्रदान नहीं करेगी तो रूस की शेयर मार्किट भी ढेर हो जाएगी । उसके ग्राहकों को भारी मात्रा में नुकसान तो होगा ही सारी की सारी क्रय-विक्रय की गतिविधियाँ प्रभावित होगी । गूगल क्लॉउड ने तो रूस के ग्राहकों पर पहले ही रोक लगा दी है । इस युद्ध में सबसे ज्यादा पूरी दुनिया की आम जनता प्रभावित हो रही है, जो महँगाई की मार झेल रही है । यूक्रेन के लोग आसपास के देशों में शरण लेने के लिए मजबूर है । अपना घर और रचा-बसा काम छोड़कर जाना आसान नहीं होता है । पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ने से पूरी दुनिया के घर के बजट बिगड़ जायेगे। रूस की जनता भी इस युद्ध से खुश नहीं है, मगर पुतिन की तानाशाही की वजह से डरकर चुप बैठने के अलावा उनके पास और रास्ता ही क्या है । इतिहस गवाह है कि जब रावण कंस, दुर्योधन और औरंगज़ेब को कोई नहीं समझा पाया तो फ़िर कलयुग तो पहले ही काल का युग कहलाता है तो ऐसे समय में हिटलर, पुतिन जैसे लोगों को समझाना नामुमकिन सा है । यह हमेशा से ही होता आया है कि ताकतवर कमज़ोर को कुचलता है और यह भूल जाता है कि पहली वो खुद भी कमजोर था पर समय तो बड़ा बलवान है । इसलिए युद्ध होने में कभी किसी का हित नहीं होता है । यह शुरू से ही विनाश का सूचक है ।