350+ मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

दुनिया करेगी जिक्र हमेशा हुसैन का,
इस्लाम जिन्दा कर गया सजदा हुसैन का.

खुशियों का सफ़र तो गम से शुरू होता है,
हमारा तो नया साल मुहर्रम से शुरू होता है.

क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,
सजदे में जा कर सर कटाया हुसैन ने,
नेजे पे सिर था और जुबां पर अय्यातें,
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।

शहादत सब के हिस्से में कहाँ आती है दुनिया में
मैं तुझ पे रशक करता हूँ तिरा मातम नहीं करता!

हुसैन आप ही से बाग़ ए उल्फ़त में बहार है,
हुसैन आप ही से हर मोमिन के दिल को करार है,
हुसैन आप ही से यज़ीदियत की हार है
हुसैन आप की ही ज़माने पर सरकार है.

कर्बला की उस जमी पर खून बहा
कत्लेआम का मंजर सजा
दर्द और दुखो से भरा था जहा
लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला

गुरूर टूट गया कोई मर्तबा ना मिला, सितम के बाद भी कुछ हासिल जफा ना मिला,
सिर-ऐ-हुसैन मिला है यजीद को लेकिन शिकस्त यह है की फिर भी झुका हुआ ना मिला।

सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला,
तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है।

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

ख़ुदा का जिस पर रहमत हो वो हुसैन होता है,
जो इन्साफ और सत्य के लड़ जाए वो हुसैन होता है.

कर्बला की कहानी में कत्लेआम था
लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था,
खुदा के बन्दे ने दी कुर्बानी
जो आनेवाली नस्लों के लिए एक पैगाम था.

सुन लो यज़ीदीयों, तड़पा नही हुसैन मेरा, पानी के लिए
दरिया ज़रूर महरूम था, लब-ए हुसैन को छूने के लिए।

सुनो मेरी क़ौम के नौनिहालों,
सफ़र की आज़माइशों से थक कर ना कहीं सो जाना
भूख और प्यास की शिद्दत में भी नेज़ों का बिस्तर,
इतना आसान नहीं है हुसैन हो जाना

दुनिया ने देखी शान वो कर्बोबला में
ज़ो आख़री सज़दा किया मेरे हुसैन ने

ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जहां में,
सजदा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने,
सब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दिया,
असग़र सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने।

जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग, जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने,
दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से।

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

ना जाने क्यों मेरी आँखों में आ गए आँसू,
सिखा रहा था मैं बच्चे को कर्बला लिखना।

सजदे से कर्बला को बंदगी मिल गयी,
सब्र से उम्मत को ज़िन्दगी मिल गयी,
एक चमन फातिमा का उजड़ा मगर
सारे इस्लाम को जिंदगी मिला गयी.

सल्तनत ए यजीदी मिट गई दुनियां से
दिलों में हैं लोगों के बादशाहत ए हुसैन

लफ़्जों में क्या लिखूं मैं शहादत हुसैन की,
कलम भी रो देता है कर्बला का मंजर सोचकर।

जालिम का नाम मिट गया तारीख़ से मगर,
वो याद रह गए जिन्हें पानी नहीं मिला…

कर्बला की शहादत इस्लाम बना गयी, खून तो बहा था
लेकिन कुर्बानी हौसलों की उड़ान दिखा गयी।

सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला, इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।

न से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने,
रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने,
खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन
करबला को खून पिलाया हुसैन ने।

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

दिल थाम के सोचा लिखूं शान-ए-हुसैन में,
कलम चीख उठी कहा बस अब रोने दो.

किस कदर रोया मैं सुन के दास्ताने कर्बला,
मैं तो हिन्दू ही रहा आँखे हुसैनी हो गयी.

जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग,
जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने,
दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से
तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से।

लफ़्जों में क्या लिखूं मैं शहादत हुसैन की,
कलम भी रो देता है कर्बला का मंजर सोचकर.

आया वो मेरे दिल में फिर
एक नए ग़म की तरह,
इस बार भी ईद गुज़री
मेरी मुहर्रम की तरह.

करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने, ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने,
लहू जो बह गया कर्बला में, उनके मकसद को समझा तो कोई बात बने।

करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने,
ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने,
लहू जो बह गया कर्बला में,
उनके मकसद को समझा तो कोई बात बने।

कर्बला की शहादत इस्लाम बना गयी,
खून तो बहा था लेकिन कुर्बानी हौसलों की उड़ान दिखा गयी।

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

फलक पर शोक का बादल अजीब आया है,
कि जैसे माह मुहर्रम नजदीक आया है.

साल तो पहले भी कई साल बदले,
दुआ है इस साल उम्मत का हाल बदले।

वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया,
घर का घर सुपर्द-ए-खुदा कर दिया,
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम,
उस हुसैन इब्ने-अली पर लाखों सलाम.

यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का,
कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का,
सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली,
महँगा पड़ा यजीद को सौदा हुसैन का।

क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने, सजदे में जा कर सर कटाया हुसैन ने,
नेजे पे सिर था और जुबां पर अय्यातें, कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।

मिटकर भी मिट सके ना
ऐसा वो हामी-ओ-यावर
नेज़े की नोंक पर था
फिर भी बुलंद था सर.

ज़िक्र-ए-हुसैन आया तो आँखें छलक पड़ी,
पानी को कितना प्यार है अब भी हुसैन से.

पानी का तलब हो तो एक काम किया कर,
कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर,
दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत,
जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर।

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

इस्लाम के चिराग में खून-ऐ-हुसैन है,
ता हश्र ये चिराग रहेगा जला हुआ…

बनी दुनिया जिसके लिए..
रहे न वो अब यहाँ,
हुए कुर्बान इस क़दर
दे गए मिसाल ईमान की.

.

सिर गैर के आगे न झुकाने वाला
और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला,
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।

कर्बला की कहानी में कत्लेआम था लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था,
खुदा के बन्दे ने शहीद की कुर्बानी दी इसलिए उसका नाम पैगाम बना।

हुसैन तेरी अता का चश्मा दिलों के दामन भिगो रहा है,
ये आसमान में उदास बादल तेरी मोहब्बत में रो रहा है,
सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला,
तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है।

इमाम का हौसला इस्लाम जगा गया,
अल्लाह के लिए उसका फर्ज आवाम को धर्म सिखा गया।

शहादत कर्बला के हुसैन की,
दिलों में जगाते हैं हम..
मातम कर मोहर्रम का,
नए साल को मनाते हैं हम..

अली असगर का प्यास से तड़पना याद करो
वो मासूम सकीना का ज़रा सिसकना याद करो..
दिखाई हैं हुसैन ने, राह-ए-हक़ ज़माने को
नाम-ए-हुसैन से बादशाहत का लरज़ना याद करो..

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

खुदा का जिस पर रहमत हो वो हुसैन होता है, जो इंसाफ और सत्य के लिए लड़ जाए वो हुसैन होता है।

लड़ी जंग और बताई जमाने को
कुर्बानी की अहमियत..
शहादत थी हुसैन की जिसने
याद दिलाई इंसानियत..

दबदबा हैं ज़माने में मगर लिबास सादा हैं
परचम-ए-हक़ बुलंद करना जिस का इरादा हैं..
कर दिया कुरबान सब कुछ हक़ की खातीर
मेरा हुसैन हक़ गोई में सब से ज़्यादा हैं..

वक्त के बादशाह को खातीर में लाते नहीं
हुसैन के गुलाम हालात से कभी घबराते नहीं..
यज़ीदीयों पर हैं तारी हैबत आज तलक हुसैन की
ज़ालीम बादशाह भी हुसैनीयों से टकराते नहीं..

यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का, कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का,
सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली, महँगा पड़ा यजीद को सौदा हुसैन का।

पानी का तलब हो तो एक काम किया कर, कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर,
दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत, जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर।

जानकर इंसानियत, सबको
अपना बनाया हुसैन ने..
परचम-ए-हक के लिए
मरना सिखाया हुसैन ने..

खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने, रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने,
खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन करबला को खून पिलाया हुसैन ने।

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

वो जिसने अपने नाना का वादा वफा कर दिया, घर का घर सुपुर्द-ए-खुदा कर दिया,
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम, उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम।

कर्बला की जमीं पर खून बहा, कत्लेआम का मंजर सजा,
दर्द और दुखों से भरा था सारा जहां लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला।

करबला की वादीयों में कुछ रोज़ क़याम हो
आँखों में अश्क और लबों पर सलाम हो..
वहाँ खड़े हो कर पढू मैं कभी फ़ातीहा
हुसैन के कदमों में ये ज़िन्दगी तमाम हो..

हर शख्स की जुबां पर है
हुसैन के कुर्बानी की बात..
मांगो दुआएं, आई है जो
मोहर्रम की ये पाक रात..

खुशियों का सफर तो गम से शुरू होता है, हमारा तो नया साल मुहर्रम से शुरू होता है।

शहादत सब के हिस्से में कहां आती है दुनिया में, मैं तुझ पे रशक करता हूँ तिरा मातम नहीं करता।

एक दिन बड़े गुरूर से कहने लगी ज़मीन, ऐ मेरे नसीब में परचम हुसैन का,
फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख, होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का।

फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई, वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई,
नमाज़ 1400 सालों से इंतजार में है, हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई।

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

न हिला पाया वो रब की मैहर को, भले ही जीत गया वो कायर जंग,
पर जो मौला के डर पर बैखोफ शहीद हुआ, वही था असली और सच्चा पैगंबर।

हक़ का परचम, वजूद-ए-हुसैन से बुलंद हैं बातील के आगे सर झुकाना उसे नापसंद हैं..
खून से अपने सींचा हैं सच्चाई का दरख़्त ज़माना आज तक हुसैन का अहसानमंद हैं..

शहादत से हुसैन की ये दुनिया थी अनजानी..
देकर अपनी कुर्बानी, सीखा गए वो जिंदगानी..

करें जो याद कुर्बानी को चमके हाथों की तकदीर..
कर्बला में शहीद होने वाला हुसैन ही था सच्चा वीर..

लफ्जों में क्या लिखूं मैं शहादत हुसैन की, कलम भी रो देता है कर्बला का मंजर सोचकर।

इंसानियत का वजूद और हर दिल का वो चैन है..
याद करो कुर्बानी उनकी, नाम जिनका हुसैन है..!

संदेसे याद करते रहना हुसैन के..
सजदे सर झुकाते रहना हुसैन के..

मैदान-ए-कर्बला में कर दिया यज़ीदियों हौसला कच्चा..
होकर शहीद हुसैन ने बताया कुर्बानी का मतलब सच्चा..

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

हुसैन तेरी अता का चश्मा दिलों के दामन भिगो रहा है,
ये आसमान में उदास बादल तेरी मोहब्बत में रो रहा है।

मुझे क्या फ़िक्र, हुसैन जन्नत का इमाम होगा
दम-ए-आखिर लबों पर हुसैन का नाम होगा..
थामे रहो तुम युँही दामन मेरे हुसैन का
देखना एक रोज़ वक्त भी तुम्हारा गुलाम होगा..

दुशमनों को गले से लगाना सिखाया हुसैन ने
रास्ता ज़माने को हक़ का बताया हुसैन ने..
कर दिया माफ़ कातीलों को अपने बाप के
सबक़ इंसानियत का ऐसा पढ़ाया हुसैन ने..

अपनी तकदीर जगाते हैं तेरे मातम से, खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से, अपन इजहारे-ए-अकीदत का सिलसिला ये है, हम नया साल मनाते हैं तेरे मातम से।

हिम्मत और जुनून रखना साथ तू बंदगी में..
दास्तां-ए-शहादत को रखना याद तू जिंदगी में..

जिक्र-ए-हुसैन आया तो आंखें छलक पड़ी, पानी को कितना प्यार है अब भी हुसैन से।

सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला, इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन, हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।

आँखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे, ताबीर में इमाम का जलवा तो दिखायी दे,
ए इब्न-ऐ-मुर्तजा सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे।

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

दश्त-ए-बाला को अर्श का जीना बना दिया, जंगल को मुहम्मद का मदीना बना दिया।
हर जर्रे को नजफ का नगीना बना दिया, हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया।

करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने, ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने, लहू जो बह गया कर्बला में, उनके मकसद को समझा तो कोई बात बने।

करबला में हक़ बंदगी का अदा कर दिया
सर कटा कर वादा अपना वफ़ा कर दिया..
गुमनामी के अंधेरों में गुम हैं यज़ीद आज
परचम हक़ का हुसैन ने ऊँचा कर दिया..

फलक पर शोक का बादल अजीब सा छाया है, जैसे कि माह मुहर्रम का नजदीक आया है।

हुसैन की शान में कोई ऐसा कलाम हो जाए
मेरा शामील उन के गुलामों में नाम हो जाए..
चूमता फिरूँ वादी-ए-करबला के ज़र्रों को
हुसैन के पहलू में ज़िन्दगी की शाम हो जाए..

करबला में वादा अपना निभाने वाला हुसैन हैं
हक़ की खातीर सर कटाने वाला हुसैन हैं..
वो कैसे हो सकते हैं गुमराह ज़माने में
जिन्हें जहाँ में रास्ता बताने वाला हुसैन हैं..

इमाम का हौसला इस्लाम जगा गया, अल्लाह के लिए उसका फर्ज आवाम को धर्म सिखा गया।

ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जहां,
सजदा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने,
सब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दिया,
असग़र सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने।

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

आँखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे,
ताबीर में इमाम का जलवा तो दिखायी दे,
ए इब्न-ऐ-मुर्तजा सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे।

खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने,
रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने,
खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन करबला को खून पिलाया हुसैन ने।

गुरूर टूट गया कोई मर्तबा ना मिला,
सितम के बाद भी कुछ हासिल जफा ना मिला,
सिर-ऐ-हुसैन मिला है यजीद को लेकिन शिकस्त यह है की फिर भी झुका हुआ ना मिला।

“दिन रोता है रात रोती है,
दिन रोता है रात रोती है..
हर मोमिन की जात रोती है,
जब भी आता है मुहर्रम का महिना,
खुदा की कसम ग़म-ए-हुसैन,
सारी कायनात रोती है…”

“सलाम या हुसैन…
अपनी तकदीर जगाते हैं तेरे मातम से,
खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से,
अपने इज़हार-ए-अकीदत का सलीका ये है,
हम नया साल मनाते हैं तेरे मातम से.”

कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज है,
उस नवासे पर मुहम्मद को नाज है,
यूँ तो लाखों सिर झुके सजदे में लेकिन हुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज है।

फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई,
वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई, नमाज़ 1400 सालों से इंतजार में है,
हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई।

“वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया..
घर का घर सुपर्द-ए-खुदा कर दिया..
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम..
उस हुसैन इब्ने-अली पर लाखों सलाम…”

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

कर्बला की जमीं पर खून बहा,
कत्लेआम का मंजर सजा,
दर्द और दुखों से भरा था सारा जहां लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला।

वो जिसने अपने नाना का वादा वफा कर दिया,
घर का घर सुपुर्द-ए-खुदा कर दिया,
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम,
उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम।

“कौन भूलेगा वो सजदा हुसैन का,
खंजरों तले भी सर झुका ना था हुसैन का…
मिट गयी नसल ए याजिद करबला की ख़ाक में,
क़यामत तक रहेगा ज़माना हुसैन का…”

“सजदे से करबला को बंदगी मिल गयी…
सब्र से उम्मत को ज़िन्दगी मिल गयी…
एक चमन फातिमा का उजड़ा,
मगर सारे इस्लाम को ज़िन्दगी मिल गयी…”

“एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी ज़मीन,
आया मेरे नसीब में परचम हुसैन का..
फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख,
होता है आसमान पे भी मातम हुसैन का..”

“इमाम का हौसला इस्लाम जगा गया,
अल्लाह के लिए उसका फ़र्ज़ आवाम को धर्म सिखा गया.”

दश्त-ए-बाला को अर्श का जीना बना दिया,
जंगल को मुहम्मद का मदीना बना दिया,
हर जर्रे को नजफ का नगीना बना दिया,
हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया।

न हिला पाया वो रब की मैहर को,
भले ही जीत गया वो कायर जंग,
पर जो मौला के डर पर बैखोफ शहीद हुआ,
वही था असली और सच्चा पैगंबर।

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

“करबला की उस जमीन पर खून बहा,
कत्त्लेआम का मंजर सजा,
दर्द और दुखों से भरा था जहाँ,
लेकिन फौलादी हौसलों को शहीद का नाम मिला.”

सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला,
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।

एक दिन बड़े गुरूर से कहने लगी ज़मीन,
ऐ मेरे नसीब में परचम हुसैन का,
फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख,
होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का।

“यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का,
कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का,
सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली,
महँगा पड़ा याजिद को सौदा हुसैन का.”

जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग,
जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने,
दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से।

“करबला को करबला के शहंशाह पर नाज है,
उस नवासे पर मोहम्मद को नाज़ है,
यूँ तो लाखों सर झुके सजदे में लेकिन
हुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज़ है.”

“फिर आज हक के लिए जान फ़िदा करे कोई,
वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई,
नमाज़ 1400 सालों से इंतज़ार में है,
हुसैन की तरह मुझको अदा करे कोई..”

“सर गैर के आगे ना झुकाने वाला,
और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला,
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन,
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला.”

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

“करबला की शहादत इस्लाम बना गई,
खून तो बहा था लेकिन हौसलों की उड़ान दिखा गई…”

“मुहर्रम को याद करो वो कुर्बानी,
जो सिखा गया सही अर्थ इस्लामी,
ना डिगा वो हौसलों से अपने,
काटकर सर सिखाई असल जिंदगानी.”

“दश ए बाला को अर्श का जीना बना दिया
दश ए बाला को अर्श का जीना बना दिया
जंगल को मोहम्मद का मदीना बना दिया
हर जर्रे को नजफ़ का नगीना बना दिया
हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया”

सिर गैर के आगे ना झुकाने वाला
और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला

एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी जमीन
है मेरे नसीब में परचम हुसैन का
फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख
होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का

कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज़ है उस नवासे पर मुहम्मद मुस्तफा को नाज़ है यूँ तू लाकोउन सजदे के मुखुक ने मगर हुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज़ है

मुहर्रम उल हरम अफज़ल है कुल जहाँ से घराना हुसैन का निबिओं का ताजदार है घराना हुसैन का एक पल की थी बस हुकूमत यजीद की सदियन हुसैन रा है जमाना रा हुसैन का

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

ना पूछ वक़्त की इन बेजुबान किताबों से,
सुनो जब अज़ान तो समझो के हुसैन जिंदा है।

पानी का तलब हो तो एक काम किया कर,
कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर,
दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत
जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर,

अपनी तक़दीर जगाते है तेरे मातम से
खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से
अपने इज़हार-ए-अक़ीदत का सिलसिला ये है
हम नया साल मनाते है तेरे मातम से

क्या हक़ अदा करेगा ज़माना हुसैन का
अब तक ज़मीन पे क़र्ज़ है सजदा हुसैन का
झोली फैला कर मांग लो मोमिनो
हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का

करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने लहू जो बह गया कर्बला में उनके मकसद को समझो तो कोई बात बने।

तरीका मिसाल असी कोई दोंड के लिए सर तन से जुड़ा भी हो मगर मौत न आये सोचन मैं सबर ओ राजा के जो मफिल एक हुसैन रा अब अली रा जैन मैं आये

कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज़ है,
उस नवासे पर मुहम्मद को नाज़ है,
यूँ तो लाखों सिर झुके सज़दे में लेकिन
हुसैन ने वो सज़दा किया जिस पर खुदा को नाज़ है,

आँखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे
ताबीर में इमाम का जलवा तो दिखायी दे
ए इब्न-ऐ-मुर्तजा सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

हुसैन तेरी अता का चश्मा दिलों के दामन भिगो रहा है,
ये आसमान में उदास बादल तेरी मोहब्बत में रो रहा है,,

इश्क मैं किया लुटिया इश्क मैं किया बेचेन अल ए नबी ने लिख दिया सारा नसीब रीत पर

यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का,
कुछ देख के हुआ था ज़माना हुसैन का,
सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ले
महंगा पड़ा यज़ीद को सौदा हुसैन का,

वो जिसने अपने नाना का वादा वफा कर दिया
घर का घर सुपुर्द-ए-खुदा कर दिया
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम
उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम

ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जहाँ
सज़दा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने
सब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दिया
असगर सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने

ना जाने क्यों मेरी आँखों में आ गए आँसू
सिखा रहा था मैं बच्चे को कर्बला लिखना

हुसैन तेरी अता का चश्मा दिलों के दामन भिगो रहा है
ये आसमान में उदास बादल तेरी मोहब्बत में रो रहा है
सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला
तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है

कर्बला की शाहदत इस्लाम बन गई खून तो बहा था लेकिन हौशालो की उडान बन गई

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

कर्बला की जमीं पर खून बहा
कत्लेआम का मंज़र सजा
दर्द और दुखों से भरा था सारा जहाँ
लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला

खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने
रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने
खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन
करबला को खून पिलाया हुसैन ने

इमाम का होशाला इस्लाम बना गया अल्लाह के लिए उसका फ़र्ज़ आवाम को धर्म सिखा गया

कर्बला की उस जमी पर खून बहा कत्लेआम का मंजर सजा दर्द और दुखो से भरा था जहा लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला

न हिला पाया वो रब की मैहर को भले जीत गया वो कायर जंग पर जो मौला के दर पर बैखोप शहीद हुआ वही था असली सच्चा पैगम्बर

क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,
सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने,
नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे अय्याते,
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन न,

कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज़ है
उस नवासे पर मुहम्मद को नाज़ है
यूँ तो लाखों सिर झुके सज़दे में लेकिन
हुसैन ने वो सज़दा किया जिस पर खुदा को नाज़ है

खून से चरागएदीन जलाया हुसैन ने,
रस्मएवफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने,
खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन
करबला को खून पिलाया हुसैन ने,

Muharram Shayari In Hindi [मुहर्रम पर शायरी]

350+ Bold मुहर्रम पर शायरी Muharram Shayari In Hindi 2023

दश्त-ए-बाला को अर्श का जीना बना दिया
जंगल को मुहम्मद का मदीना बना दिया
हर जर्रे को नज़फ का नगीना बना दिया
हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया

आंखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे ताबीर में इमाम का जलवा दिखायी दे ए! इब्न-ऐ-मुर्तजा सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे।

फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई
वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई
नमाज़ 1400 सालों से इंतज़ार में है
हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई

न हिला पाया वो रब की मैहर को,
भले जीत गया वो कायर जंग,
पर जो मौला के दर पर बैखोप शहीद हुआ,
वही था असली सच्चा पैगम्बर

क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे अय्यातें कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।

वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया,
घर का घर सुपुर्दएखाक कर दिया,
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम,
उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम,

जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग
जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने
दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से
तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से

कर्बला की कहानी में कत्लेआम था लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था
खुदा के बन्दे ने शहीद की कुर्बानी दी इसलिए उसका नाम पैगाम बना

Leave a Comment