150+ अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी Ahmad Faraz Shayari in Hindi

Ahmad Faraz Shayari in Hindi [अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी]

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

huā hai tujh se bichhaḌne ke ba.ad ye ma.alūm
ki tū nahīñ thā tire saath ek duniyā thī

अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी Ahmad Faraz Shayari in Hindi

kisī ko ghar se nikalte hi mil gi manzil
koī hamārī tarah umr bhar safar meñ rahā

लोग तो मजबूर हैं मरेंगे पत्थर,
क्यूँ न हम शीशों से कह दें टूटा न करें।

बदन में आग सी है चेहरा गुलाब जैसा है,
कि ज़हर-ए-ग़म का नशा भी शराब जैसा है,
इसे कभी कोई देखे कोई पढ़े तो सही,
दिल आइना है तो चेहरा किताब जैसा है।

जब के सब के वास्ते लाये हैं कपड़े सेल से
लाये हैं मेरे लिए क़ैदी का कम्बल जेल से

ज़ुल्म और बेइंसाफी के खिलाफ फ़राज़ कभी चुप नहीं रहें और हमेशा बोलते रहें. और इसका खमियाजा भी भुगता।

तुम्हारी एक निगाह से कतल होते हैं लोग फ़राज़
एक नज़र हम को भी देख लो के तुम बिन ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती

Ahmad Faraz Shayari in Hindi [अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी]

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

जाने किस आलम में तू बिछड़ा कि है तेरे बग़ैर
आज तक हर नक़्श फ़रियादी मिरी तहरीर का

Ye kaun fir se unhin raaston men chhod gaya
Abhi abhi toh azab-a-safar se nikala tha

ये अब जो आग बना शहर शहर फैला है
यही धुआँ मिरे दीवार ओ दर से निकला था

तोड़ दिया तस्बी* को इस ख्याल से फ़राज़
क्या गिन गिन के नाम लेना उसका जो बेहिसाब देता है

अब उसे रोज़ न सोचूँ तो बदन टूटता है फ़राज़
उमर गुजरी है उस की याद का नशा किये हुए

अब तो ये आरज़ू है कि वो ज़ख़्म खाइए
ता-ज़िंदगी ये दिल न कोई आरज़ू करे

अब ज़मीं पर कोई गौतम न मोहम्मद न मसीह
आसमानों से नए लोग उतारे जाएँ

किस को बिकना था मगर ख़ुश हैं कि इस हीले से
हो गईं अपने ख़रीदार से बातें क्या क्या

Ahmad Faraz Shayari in Hindi [अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी]

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला
वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला

किसी दुश्मन का कोई तीर न पहुँचा मुझ तक
देखना अब के मिरा दोस्त कमाँ खेंचता है

अब उसे लोग समझते हैं गिरफ़्तार मिरा
सख़्त नादिम है मुझे दाम में लाने वाला

कितने नादाँ हैं तिरे भूलने वाले कि तुझे
याद करने के लिए उम्र पड़ी हो जैसे

आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा

सुना है हश्र हैं उस की ग़ज़ाल सी आँखें
सुना है उस को हिरन दश्त भर के देखते हैं

वो सर्व-क़द है मगर बे-गुल-ए-मुराद नहीं
कि उस शजर पे शगूफ़े समर के देखते हैं

Ahmad Faraz Shayari in Hindi [अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी]

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

रुके तो गर्दिशें उस का तवाफ़ करती हैं
चले तो उस को ज़माने ठहर के देखते हैं

मुझ से पहले तुझे जिस शख़्स ने चाहा उस ने
शायद अब भी तिरा ग़म दिल से लगा रक्खा हो
एक बे-नाम सी उम्मीद पे अब भी शायद
अपने ख़्वाबों के जज़ीरों को सजा रक्खा हो

ये भी मुमकिन है कि इक दिन वो पशीमाँ हो कर
तेरे पास आए ज़माने से किनारा कर ले
तू कि मासूम भी है ज़ूद-फ़रामोश भी है
उस की पैमाँ-शिकनी को भी गवारा कर ले

वह शमा जो काम आये अंजुमन के लिए,
वह जज़्बा जो क़ुर्बान हो जाये वतन के लिए,
रखते है हम वह हौसलें भी,
जो मर मिटे हिंदुस्तान के लिए

चल गया न फिर से फ़राज़ का जादू आप पे? बस ऐसे ही पूरी दुनिया को अपने तिलस्मी शायरी, ग़ज़ल और नज़्मों से अपना दीवाना बना लेते थे अहमद फ़राज़ साहब।

तुम्हारी एक #निगाह से कतल होते हैं लोग_फ़राज़
एक नज़र ”हम” को भी देख लो के तुम बिन
ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती

ज़िक्र उस का ही सही “बज़्म” में बैठे हो फ़राज़,
दर्द_कैसा भी उठे हाथ न ‘दिल’ पर रखना।

क्या कहें कितने मरासिम थे हमारे उस से
वो जो इक शख़्स है मुँह फेर के जाने वाला

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

वो बातबात पे देता है परिंदों की #मिसाल साफ़साफ़ नहीं कहता मेरा_शहर ही छोड़ दो

क़ासिदा हम फ़क़ीर लोगों का
इक ठिकाना नहीं कि तुझ से कहें

क़ुर्बतें लाख ख़ूब-सूरत हों
दूरियों में भी दिलकशी है अभी

मुझसे पहले_तुझे जिस शख़्स ने चाहा उसने
शायद अब भी तेरा ”ग़म” दिल से लगा रखा हो

आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों पर
क्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें

अब के हम_बिछड़े तो शायद कभी #ख़्वाबों में मिलें,
जिस तरह सूखे हुए फूल ‘किताबों’ में मिलें.

हम से बिछड़ के उस का तकब्बुर बिखर गया ”फ़राज़”
हर एक से ”मिल” रहा है बड़ी आजज़ी के साथ

उसकी बातें मुझे खुशबू की तरह लगती हैं
फूल जैसे कोई सेहरा में खिला करता है.

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

मोहब्बत के अंदाज़ जुदा होते हैं फ़राज़
किसी ने टूट के चाहा और कोई चाह के टूट गया.

दोस्ती अपनी भी असर रखती है फ़राज़
बहुत याद आएँगे ज़रा भूल कर तो देखो.

वो बारिश में कोई सहारा ढूँढता है फ़राज़
ऐ बादल आज इतना बरस
की मेरी बाँहों को वो सहारा बना ले.


ऐसा डूबा हूँ
तेरी याद के समंदर में “फ़राज़”
दिल का धड़कना भी
अब तेरे कदमों की सदा लगती है.

आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैर
जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे

वहाँ से एक पानी की बूँद
ना निकल सकी “फ़राज़”
तमाम उम्र जिन आँखों को हम झील लिखते रहे.

उसकी जफ़ाओं ने मुझे
एक तहज़ीब सिख दी है फ़राज़
मैं रोते हुए सो जाता हूँ पर
शिकवा नहीं करता.

हमारे बाद नहीं आएगा
तुम्हे चाहत का ऐसा मज़ा फ़राज़
तुम लोगों से खुद कहते फिरोगे की
मुझे चाहो तो उसकी तरह.

Ahmad Faraz Shayari in Hindi [अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी]

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

उसे तेरी इबादतों पे यकीन है नहीं,
जिस की ख़ुशियां तू रब से रो रो के मांगता है..

तू भी तो आईने की तरह बेवफ़ा निकला,
जो सामने आया उसी का हो गया..

किसी बेवफ़ा की ख़ातिर ये जुनूँ ‘फ़राज़’ कब तक
जो तुम्हें भुला चुका है उसे तुम भी भूल जाओ

रूठ जाने की अदा हम को भी आती है फ़राज़
काश होता कोई हम को भी मनाने वाला

किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा

zindagī se yahī gila hai mujhe
tū bahut der se milā hai mujhe

agar tumhārī anā hī kā hai savāl to phir
chalo maiñ haath baḌhātā huuñ dostī ke liye

dil bhī pāgal hai ki us shaḳhs se vābasta hai
jo kisī aur kā hone de na apnā rakkhe

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

ġham-e-duniyā bhī ġham-e-yār meñ shāmil kar lo
nashsha baḌhtā hai sharābeñ jo sharāboñ meñ mileñ

ab tire zikr pe ham baat badal dete haiñ
kitnī raġhbat thī tire naam se pahle pahle

bharī bahār meñ ik shāḳh par khilā hai gulāb
ki jaise tū ne hathelī pe gaal rakkhā hai

ek safar vo hai jis meñ
paañv nahīñ dil thaktā hai

sunā hai bole to bātoñ se phuul jhaḌte haiñ
ye baat hai to chalo baat kar ke dekhte haiñ

tū sāmne hai to phir kyuuñ yaqīñ nahīñ aatā
ye baar baar jo āñkhoñ ko mal ke dekhte haiñ

ye dil kā dard to umroñ kā rog hai pyāre
so jaa.e bhī to pahr do pahr ko jaatā hai

shiddat-e-tishnagī meñ bhī ġhairat-e-mai-kashī rahī
us ne jo pher lī nazar maiñ ne bhī jaam rakh diyā

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

jis se ye tabī.at baḌī mushkil se lagī thī
dekhā to vo tasvīr har ik dil se lagī thī

उस का क्या है तुम न सही तो चाहने वाले और बहुत
तर्क-ए-मोहब्बत करने वालो तुम तन्हा रह जाओगे

ruke to gardisheñ us kā tavāf kartī haiñ
chale to us ko zamāne Thahar ke dekhte haiñ

kisī dushman kā koī tiir na pahuñchā mujh tak
dekhnā ab ke mirā dost kamāñ kheñchtā hai

is se baḌh kar koī in.ām-e-hunar kyā hai ‘farāz’
apne hī ahd meñ ek shaḳhs fasāna ban jaa.e

na tujh ko maat huī hai na mujh ko maat huī
so ab ke donoñ hī chāleñ badal ke dekhte haiñ

na mire zaḳhm khile haiñ na tirā rañg-e-hinā
mausam aa.e hī nahīñ ab ke gulāboñ vaale

āshiqī meñ ‘mīr’ jaise ḳhvāb mat dekhā karo
bāvle ho jāoge mahtāb mat dekhā karo

Ahmad Faraz Shayari in Hindi [अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी]

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

आँखों में हया हो तो पर्दा दिल का ही काफी है,
नहीं तो नकाबों से भी होते हैं इशारे मोहब्बत के.

एक नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब फ़राज़
मोहब्बत भी सकूँ वालों को बड़ी तकलीफ़ देती है.

लोग तो मजबूर हैं मरेंगे पत्थर, फ़राज़…
क्यूँ न हम शीशों से कह दें टूटा न करें।

अपने ही होते हैं जो दिल पे वार करते हैं फ़राज़
वरना गैरों को क्या ख़बर की दिल की जगह कौन सी है.

उस शख्स से बस इतना सा ताल्लुक़ है फ़राज़
वो परेशां हो तो हमें नींद नहीं आती.

इस तरह गौर से मत देख मेरा हाथ ऐ फ़राज़
इन लकीरों में हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं.

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम,
तू मुझसे खफा है तो ज़माने के लिए आ।

तुम तकल्लुफ को भी इख्लास समझते हो फ़राज़,
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला।

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

आने लगी थी उसकी ज़बीं पर शिकन फ़राज़,
इज़हार-ए-इश्क़ करके मुकरना पड़ा मुझे।

इस दफा तो बारिशें रूकती ही नहीं फ़राज़,
हमने आँसू क्या पिए सारे मौसम रो पड़े।

चले थे यार बड़े ज़ोम में हवा की तरह
पलट के देखा तो बैठे हैं नक़्श-ए-पा की तरह

ज़िंदगी से यही गिला है मुझे
तू बहुत देर से मिला है मुझे

हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मालूम
कि तू नहीं था तेरे साथ एक दुनिया थी

इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ
क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ

शहर-वालों की मोहब्बत का मैं क़ायल हूँ मगर
मैं ने जिस हाथ को चूमा वही ख़ंजर निकला

न मंज़िलों को न हम रहगुज़र को देखते हैं
अजब सफ़र है कि बस हम-सफ़र को देखते हैं

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

मुझे अपने किरदार पे इतना तो यकीन है “फराज़”
कोई मुझे छोड़ तो सकता है, मगर भुला नहीं सकता

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते
जो आज तो होते हैं मगर कल नहीं होते

जब भी दिल खोल के रोए होंगे
लोग आराम से सोए होंगे

हम तिरे शौक़ में यूँ ख़ुद को गँवा बैठे हैं
जैसे बच्चे किसी त्यौहार में गुम हो जाएँ

जख़्म को फूल तो सरसर को सबा कहते हैं
जाने क्या दौर है, क्या लोग हैं, क्या कहते हैं

बिन मांगे ही मिल जाती हैं ताबीरें किसी को फ़राज़
कोई खाली हाथ रह जाता है हज़ारों दुआओं के बाद

जो ज़हर पी चुका हूँ तुम्हीं ने मुझे दिया
अब तुम तो ज़िंदगी की दुआएँ मुझे न दो

भरी बहार में इक शाख़ पर खिला है गुलाब
कि जैसे तू ने हथेली पे गाल रक्खा है

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

किसे ख़बर वो मोहब्बत थी या रक़ाबत थी
बहुत से लोग तुझे देख कर हमारे हुए

लो फिर तेरे लबों पे उसी बेवफ़ा का ज़िक्र
अहमद ‘फ़राज़’ तुझ से कहा न बहुत हुआ

तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल
हार जाने का हौसला है मुझे

ऐसी तारीकियाँ आँखों में बसी हैं कि ‘फ़राज़’
रात तो रात है हम दिन को जलाते हैं चराग़

अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़हम को तुझ से हैं उम्मीदें
ये आख़िरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ

इस ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब
इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएँ हम

तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो ‘फ़राज़’
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला

उसकी आखों को कभी ग़ौर से देखा है ‘फ़राज़
रोने वालों की तरह जागने वालों जैसी

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Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

इक तो हम को अदब आदाब ने प्यासा रक्खा
उस पे महफ़िल में सुराही ने भी गर्दिश नहीं की

तेरे होते हुए आ जाती थी सारी दुनिया
आज तन्हा हूँ तो कोई नहीं आने वाला

वो बात बात पे देता है परिंदों की मिसाल
साफ़ साफ़ नहीं कहता मेरा शहर ही छोड़ दो

तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें

और ‘फ़राज़’ चाहिएँ कितनी मोहब्बतें तुझे
माओं ने तेरे नाम पर बच्चों का नाम रख दिया

तेरे बग़ैर भी तो ग़नीमत है ज़िंदगी
ख़ुद को गँवा के कौन तिरी जुस्तुजू करे

दिल भी पागल है कि उस शख़्स से वाबस्ता है
जो किसी और का होने दे न अपना रक्खे

तू इतनी दिल-ज़दा तो न थी ऐ शब-ए-फ़िराक़
आ तेरे रास्ते में सितारे लुटाएँ हम

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

Bhari bahar mein ek shaakh par
khila hai gulaab Ki jaise tu ne
Hatheli pe gaal rakha hai

चलो ये इश्क़ नहीं चाहने की आदत है
कि क्या करें हमें दूसरे की आदत है।

चला था ज़िक्र ज़माने की बेवफ़ाई का
सो आ गया है तुम्हारा ख़याल वैसे ही

कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी जैसे
तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा

कितना आसाँ था तिरे हिज्र में मरना जानाँ
फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

अब दिल की तमन्ना है तो ऐ काश यही हो
आँसू की जगह आँख से हसरत निकल आए

उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ
अब क्या कहें ये क़िस्सा पुराना बहुत हुआ

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

इस तरह_गौर से मत देख मेरा ”हाथ” ऐ फ़राज़
इन लकीरों में #हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं

अपने ही होते हैं जो ”दिल” पे वार करते हैं फ़राज़
वरना_गैरों को क्या ख़बर की #दिल की जगह कौन सी है.

अब के हम_बिछड़े तो शायद कभी #ख़्वाबों में मिलें,
जिस #तरह सूखे हुए फूल ‘किताबों’ में मिलें

हम से #बिछड़ के उस का तकब्बुर बिखर गया ”फ़राज़”
हर एक से ”मिल” रहा है बड़ी आजज़ी के साथ

देश की हर गली में हम तिरंगा फहराएंगे,
गणतंत्र दिवस का यह त्यौहार हम शान से मनाएंगे।

ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें

आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों प
क्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिले

ख़ानाबदोश, ये मेरी ग़ज़लें वे मेरी नज़्में,
ज़िंदगी ! ऐ ज़िंदगी !, दर्द आशोब

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

“दीवार क्या गिरी मेरे कच्चे मकान की फ़राज़, लोगों ने मेरे घर से रास्ते बना लिए..”

“आँखों में हया हो तो पर्दा दिल का ही काफी है फ़राज़ नहीं तो नकाबों से भी होते हैं, इशारे मोहब्बत के..”

“उस से बिछड़े तो मालूम हुआ की, मौत भी कोई चीज़ है फ़राज़, ज़िन्दगी वो थी जो हम उसकी महफ़िल में गुज़ार आ

“वहाँ से एक पानी की बूँद, ना निकल सकी फ़राज़ तमाम उम्र जिन आँखों को हम झील लिखते रहे..”

उस ”शख्स” से बस इतना सा #ताल्लुक़ है फ़राज़
वो परेशां हो तो हमें_नींद नहीं आती.

मोहब्बत के ‘अंदाज़’ जुदा होते हैं फ़राज़
किसी ने टूट के चाहा और कोई_चाह के टूट गया

आशिक़ी में ‘मीर’ जैसे ख़्वाब मत देखा करो
बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो

ज़िन्दगी तो अपने ‘कदमो’ पे चलती है ‘फ़राज़’
औरों के सहारे तो जनाज़े उठा करते हैं।

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ

सुना है दर्द की गाहक है चश्म-ए-नाज़ उस की
सो हम भी उस की गली से गुज़र के देखते हैं

सुना है रात से बढ़ कर हैं काकुलें उस की
सुना है शाम को साए गुज़र के देखते हैं

सुना है चश्म-ए-तसव्वुर से दश्त-ए-इम्काँ में
पलंग ज़ाविए उस की कमर के देखते हैं

इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की
आज पहली बार उस से मैं ने बेवफ़ाई की

बस इक निगाह से लुटता है क़ाफ़िला दिल का
सो रह-रवान-ए-तमन्ना भी डर के देखते हैं

कहानियाँ ही सही सब मुबालग़े ही सही
अगर वो ख़्वाब है ताबीर कर के देखते हैं

“वो रोज़ देखता है डूबे हुए सूरज को फ़राज़, काश मैं भी किसी शाम का मंज़र होता..”

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

Ahmad Faraz Shayari in Hindi (अहमद फ़राज़ की शायरी हिंदी)

अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएँ हम
ये भी बहुत है तुझ को अगर भूल जाएँ हम

अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़हम को तुझ से हैं उमीदें
ये आख़िरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ

बहुत दिनों से नहीं है कुछ उस की ख़ैर ख़बर
चलो ‘फ़राज़’ को ऐ यार चल के देखते हैं

वो वक़्त आ गया है कि साहिल को छोड़ कर
गहरे समुंदरों में उतर जाना चाहिए

ये दिल का दर्द तो उम्रों का रोग है प्यारे
सो जाए भी तो पहर दो पहर को जाता है

तुझ से मिल कर तो ये लगता है कि ऐ अजनबी दोस्त
तू मिरी पहली मोहब्बत थी मिरी आख़िरी दोस्त

बंदगी हम ने छोड़ दी है ‘फ़राज़’
क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ

Shikva-a-julmat-e-shab se to kahin behtar tha
Apne hisse ki koi shama’ jalaate jaate

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