कभी कभी एक दिन का इंतजार सालों जैसा लगता है !!
Intezar Shayari in Hindi [इंतेज़ार शायरी हिंदी में]
आने में सदा देर लगाते ही रहे तुम
जाते रहे हम जान से, आते ही रहे तुम
अब इन हुदूद में लाया है इंतज़ार मुझे
वो आ भी जाएँ तो आए न ऐतबार मुझे
ये कह-कह के हम दिल को समझा रहे हैं,
वो अब चल चुके हैं वो अब आ रहे हैं।
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
कोई आया न आएगा लेकिन
क्या करें गर न इंतिज़ार करें
कोई आया न आएगा लेकिन
क्या करें गर न इंतिज़ार करें
मैं ज़िन्दगी में आज पहली बार घर नहीं गया
मगर तमाम रात दिल से माँ का डर नहीं गया
दिन ढल गया और रात गुज़रने की आस में
सूरज नदी में डूब गया, हम गिलास में
झुकी हुई पलकों से उनका दीदार किया,
सब कुछ भुला के उनका इंतजार किया
वो जान ही न पाए जज्बात मेरे,
मैंने सबसे ज्यादा जिन्हें प्यार किया।
किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इन्तजार को तुम्हें,
बेजुबां है इश्क़ मेरा ढूँढता है खामोशी से तुझे।
आँखों को इंतज़ार की भट्टी पे रख दिया,
मैंने दिये को आँधी की मर्ज़ी पे रख दिया।
कहीं वो आ के मिटा दें न इंतज़ार का लुत्फ़,
कहीं क़ुबूल न हो जाए इल्तिजा मेरी।
जीने की ख्वाइश में हर रोज़ मरते हैं,
वो आये न आये हम इंतज़ार करते हैं,
जूठा ही सही मेरे यार का वादा,
हम सच मानकर ऐतबार करते हैं।
क्यों किसी से इतना प्यार हो जाता है,
एक पल का इंतज़ार भी दुश्वार हो जाता है,
लगने लगते हैं अपने भी पराये,
और एक अजनबी पर ऐतबार हो जाता है।
खेत में सांप का, खानदान में बाप का,
घर में खाट का और दुनिया मे जाट का बड़ा महत्त्व है..!!
जाट का बेटा कितना भी निकम्मा
और कमीना क्यू ना हो
पर वो कहलाता तो
चौधरी साहब ही है!!
किश्तों में खुदकुशी कर रही है ये जिन्दगी,
इंतज़ार तेरा…मुझे पूरा मरने भी नहीं देता।
तुम देखना यह इंतज़ार रंग लायेगा ज़रूर,
एक रोज़ आँगन में मौसम-ए-बहार आएगी ज़रूर।
उनकी आवाज़ सुनने को बेकरार रहते हैं,
शायद इसी को दुनिया में प्यार कहते हैं,
काटने से भी जो ना कटे वक्त,
उसी को मोहब्बत में इंतज़ार कहते हैं।
जो सुधर जा वो जाट नी,
अर हमनअ सुधार दे इतना किसे म दम नी
हाथ कि लकीरों पर ऐतबार कर लेना,
भरोसा हो तो किसी से प्यार कर लेना,
खोना पाना तो नसीबों का खेल है,
ख़ुशी मिलेगी बस थोड़ा इंतज़ार कर लेना।
इंतजार रहता है हर शाम तेरा,
यादें कटती है ले ले कर नाम तेरा,
मुद्दत से बैठे है यह आस पाले,
कि कभी तो आएगा कोई पैगाम तेरा.
उसके इंतजार के मारे है हम बस उसकी
यादों के सहारे है हम दुनिया जीत कर क्या
करना है अब जिसे दुनिया से जीता था
आज उसी से हारे है हम.
पलकों पर रूका है समन्दर खुमार का,
कितना अजब नशा है तेरे इंतजार का।
किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इंतज़ार
को तुम्हें, बेजुबां है इश्क़ मेरा ढूंढ़ता है
खामोशी से तुझे.
बड़ी मुश्किल में हूँ कैसे इज़हार करूँ,
वो तो खुशबू है उसे कैसे गिरफ्तार करूँ
उसकी मोहब्बत पर मेरा हक़ नही लेकिन
दिल कहता है आखरी साँस तक उसका
इंतिज़ार करू.
मोहब्बत का इम्तिहान आसान नहीं,
प्यार सिर्फ पाने का नाम नहीं,
मुद्दतें बीत जाती है किसी के इंतज़ार में,
यह सिर्फ पल दो पल का काम नहीं।
यूँ पलके बिछाकर तेरा इंतजार करते है ये वो
गुनाह है जो हम बार बार करते है जलाकर
हसरत की राह पर चिराग आरज़ू के हम
सुबह और शाम तेरे मिलने का इंतजार करते है.
भले ही राह चलतों का दामन थाम ले,
मगर मेरे प्यार को भी तू पहचान ले,
कितना इंतज़ार किया है तेरे इश्क़ में,
ज़रा यह दिल की बेताबी तू भी जान ले।
ए जाट तेरी खातिर मैं दुनिया तक छोड़ दूंगी
पर तूने साथ छोड़ा तो मैं तेरी टाँगे तोड़ दूंगी
हालात कह रहे हैं मुलाकात नहीं मुमकिन,
उम्मीद कह रही है थोड़ा इंतज़ार कर।
जिसके लिए अपने इंतज़ार किया उसको को व्यर्थ न जाने दें, उस व्यक्ति को खोजने की कोशिश करें जिसे आप प्यार करते हैं।
आखिर मैं एक मामूली इंसान ही हूँ जिसे प्यार का खेल अभी समझ ही नहीं आया इसलिए मैं अभी भी उसका Intezaar ही कर रहा हूं।
है बस उस समय का जब हम बिना किसी रोक टोक एक साथ हो सकते हैं, जब हमारे प्यार को गलत नहीं समझा जायेगा।
काश मैं पिछले समय मैं वापिस जा सकूँ और दूसरों के प्यार को पाने के पागलपन वाले समय को theek कर सकूँ ।
मैं आपके लिए अपने आपको सुधारना चाहता हूँ जो सबसे बेस्ट हो, जो आपको सबसे अधिक प्यार करता है जो हकीकत में में अभी नहीं हूं।
देर रात तक दहलीज़ पर तेरी बैठी रहीं आँखें,
जब आना था तो कोई ख्वाब ही भेज दिया होता।
तेरे इश्क़ की आग मेरे दिल को
आज भी खूब जलाया करती है,
जुदा हो गए तो क्या हुआ ये आँख
आज भी तुम्हारा इंतज़ार करती है।
किन लफ्जों में लिखूँ अपने इन्तजार को मैं,
मेरा बेजुबां इश्क़ तुझे बड़ी खामोशी से ढूँढता है।
मुझे तो अब ख्वाब में भी नींद नहीं आती है,
दिल हैरत में है कि ये मुझे किसका इंतज़ार है।
हर शाम इंतज़ार रहता है तेरा,
रातें कटती हैं ले-ले कर नाम तेरा,
हम कबसे बैठे हैं ये आस पाले,
कभी न कभी तो आएगा कोई पैगाम तेरा।
हम चाँद की तरह तन्हा सफ़र करते रहे,
तुम तारों की तरह रात भर चमकते रहे।
मेरे दिल में फिर कोई दूसरा कभी नहीं आया,
मुझे भरोसा ही कुछ ऐसा था तुम्हारे लौट आने का।
मेरी आँखें भी अब मेरी पलकों से सवाल करती हैं,
ये हर वक़्त सिर्फ और सिर्फ आपको ही याद करती हैं,
ये बड़ी गुस्ताख़ हैं जब तक देख न लें चेहरा आपका,
राहों में एक ताक बस आपका ही इंतज़ार करती हैं।
तुम मेरे बीते वक़्त थे तुम्हें आना ही नहीं था,
हम तो यूँ ही सारी रात करबटें बदलते रहे।
पता नहीं इंतज़ार रात का था या तुम्हारा था,
मैंने राहों में दिया जलाया भी और बुझाया भी।
मैंने कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ नहीं देखा,
तुम्हारे बाद हमने किसी की तरफ नहीं देखा,
मुझे यही सोच कर तेरा इंतजार है ऐ जालिम,
इसलिए तमाम उम्र हमने घडी की तरफ नहीं देखा ।
ये जिन्दगी किश्तों में खुदकुशी कर रही है,
और इंतज़ार तेरा मुझे पूरा मरने भी नहीं देता ।
पलकें बिछाओ या दिल जलाओ किसी के इंतज़ार में,
वक़्त से पहले कभी नहीं आते वापस आने वाले।
हमें कोई मिलता ही नहीं हमारा बनकर,
तुम मिले भी तो सिर्फ एक किनारा बनकर,
मेरा हर ख्वाब टूट के बिखर गया काँच की तरह,
तुम्हारा इंतज़ार है अब तो आ जाओ सहारा बनकर।
गलत किया कि तेरे वादे पर ऐतबार किया ,
तेरे बाद तो मैंने क़यामत का इंतज़ार किया।
मेरा संदेसा उन तक पंहुचा कर कहना,
कि तुम्हें देखने को मेरी आँखें तरस गयीं।
हमे वफ़ा में अब ये हुनर तैयार करना है,
वो कुछ भी कहें हमें बस ऐतबार करना है,
और तुम्हें जागने का शौक कब से हो गया,
खैर मुझे तो बस तेरा ही इंतज़ार करना है ।
अब चले भी आओ इस दिल में मेहमान बनकर,
इतना भी ना कराओ इंतज़ार अनजान बनकर।
अब मुझे नींद आए भी तो कैसे उनके इंतज़ार में,
वो आने का वादा कर गये आकर के ख्वाब में।
हम तो जीने की ख्वाहिश में हर रोज़ मरते हैं,
वो आये या ना आये हम तो इंतज़ार करते हैं,
ये झूठा ही सही पर मेरे यार का वादा है मुझसे,
उस वादे को सच मान कर हम ऐतबार करते हैं ।
कोई शाम आपकी याद लेकर तो कोई देकर जाती है,
हमें उस शाम का इंतज़ार है जो आपको अपने साथ लेकर आये।
मुझे इंतजार तो बस उस दिन का है,
जिस दिन तुम्हारे नाम के साथ मेरा नाम आएगा।
हम उसकी आवाज़ सुनने के लिए बेकरार रहते हैं,
इसी को इस दुनिया में शायद प्यार कहते हैं,
जब काटने से भी नहीं कटता ये तन्हा वक्त,
शायद इसी को मोहब्बत में इंतज़ार कहते हैं।
मैंने आँखों को इंतज़ार की भट्टी पे रख दिया,
मैंने दिये को तेज आँधिओं की मर्ज़ी पर रख दिया।
कई रोज़ तक तो ये आलम रहा तेरे इंतज़ार का,
जिधर आँख उठ गई बस उधर एक टक देखते रहे।
एक बार तड़प के देखो किसी की चाहत में,
तब पता चलेगा कि इंतजार क्या होता है?
जब यूं ही मिल जाए कोई बिना चाहे किसी को,
तब कैसे पता चलेगा कि प्यार क्या होता है।
देखना एक दिन मेरा इंतज़ार रंग लाएगा ज़रूर,
एक दिन वो मुझसे मिलाने लौटकर आएगा ज़रूर।
एहसास तेरा कुछ यूं होता है दूर होकर भी
हर पल तू मेरे पास होता है
इश्क की ये कैसे शरारते है कि
इन आंखों में सिर्फ तेरा ही इंतजार होता है.!!
तूने मुझे छोड़ा सच्चे प्यार की तलाश में
मैं आज भी वही खड़ा हूं
तुझसे मिलने की आस में.!!
कोई तन्हा भी इतना है जमाने की भीड़ में
अपने दहलीज पर अपना इंतजार करता है.!!
वो कहती है कि भुला
देना पुरानी बातो को
अब उन्हे कौन समझाए कि
इश्क कभी पुराना नही होता.!!
यूं पलकें बिछाकर तुम्हारा इंतजार करते है
तेरे लौटने की दुआ रोज हम रब से करते है..!
तुम्हे क्या पता कैसा है हाल हमारा
एक तो ये टूटा दिल
ऊपर से यादो का बवंडर तुम्हारा..!
हम इंतजार भी उनका
कर रहे है जो हमारी
जिंदगी के साथ फरेब रहे है..!
पलकों तले इंतजार कि
लौ जला रखी है तुम लौट
आओ सनम तुम्हारे इंतजार
में दिल जला बैठी हूं..!
आज चांद को
देखकर ऐसा लगा जैसे
किसी के इंतजार में
खुद को ही भूल गया है वो..!
आखिरी सांस तक
मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी
तुम मेरे रूह में समाए हुए हो
मैं तुमको कैसे भूलाऊंगी..!
अपना समझकर की थी
मैंने जिनसे मोहब्बत
वही जिंदगी भर की तन्हाई
देकर दूर चली गई..!
पतंग को इश्क हुआ था
खिलाफ-ए-रुख हवा से
अब अंजाम-ए-इश्क तो
तबाही का होना ही था..!
एक बात मुझे आज
तक समझ नही आई
कि तुमने बेवफा
बुलाऊं या मोहब्बत..!
इक उम्र तेरी मोहब्बत
को तरसते रहे हम
तेरे लौट आने का
इंतजार करते रहे हम..!
खुद को मिटाने की हर
हरकत आजमां बैठी हूं
मौत के तरीके से थककर अब
कलम से आस लगाए बैठी हूं..!
इन तन्हा रातों में अकेले
चलती जा रही हूं तेरी
मोहब्बत की यादें के
सहारे जीती जा रही हूं !
तेरे लौट आने का इंतजार
आज भी इन आंखों में रहता है
तेरी जुदाई और गमों का
बुखार मेरे दिल पर छाया रहता है !
एक बेवफा से मोहब्बत करके
मैं बर्बाद हो गया जिंदगी में दर्द
ही अब जीने की वजह बन गया !
तेरे प्यार ने मुझे उम्र भर के दर्द दिए हैं
तेरी बेवफाई ने इस दिल को टूटे ख्वाब दिए हैं !
खुशियां जिंदगी से न
जाने कहां दूर चली गई है
मुश्किल रास्तों पर अकेले
चलने की आदत हो गई है !
वह मुझे छोड़ कर
जिंदगी भर का दर्द दे गया
बेवफा आशिक था इसीलिए
मुझे तन्हा छोड़ गया !
किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इंतज़ार को तुम्हें
बेजुबां है इश्क़ मेरा ढूँढता है खामोशी से तुझे !
थोडा इंतजार तो
कर लेते वक्त ही तो
खराब था दिल थोडी था !
मासूम मोहब्बत का बस इतना सा फ़साना है
कागज की कश्ती है और बारिश का जमाना है !
इंतज़ार उनका हर
दिन किया पर एक भी
दिन उनका आना नहीं हुआ !
मेरे दिल में फिर कोई
दूसरा कभी नहीं आया
मुझे भरोसा ही कुछ ऐसा
था तुम्हारे लौट आने का !
ये जो पलकों पे है खुमार आप का
हाँ इसी को कहते हैं इंतज़ार यार का !
ये कैसा सिलसिला है तेरे और मेरे दरमियां
फासले तो बहुत हैं मगर मोहब्बत कम नहीं होती !
खबर नहीं मुझे यह जिन्दगी कहाँ ले जाए
कहीं ठहर के मेरा इंतज़ार मत करना !
झुकी हुई पलकों से उनका
दीदार किया सब कुछ भुला
के उनका इंतजार किया
वो जान ही न पाए जज्बात मेरे
मैंने सबसे ज्यादा जिन्हें प्यार किया !
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम
भी इंतज़ार उस का कुछ सोच कर करते रहे !
आँखों को इंतज़ार की भट्टी पे रख दिया
मैंने दिये को आँधी की मर्ज़ी पे रख दिया !
मुसाफिर बना दिया है ज़िन्दगी ने इंतज़ार
खत्म नहीं होता और मंज़िल का कुछ पता नहीं !
शाक से टूटे पत्तो की तरह है हम जो
बस इंतज़ार कर रहे है बसंत के आने का !
मुझे उस करिश्मे का इंतज़ार है जब
हम एक होंगे कब वो दिन आएंगे
हमारे आंगन में खुशियों के ढेर होंगे !
एक रात वो गया था जहाँ बात रोक के,
अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के।
फरियाद कर रही है यह तरसी हुई निगाह,
देखे हुए किसी को ज़माना गुजर गया।
ऐ मौत उन्हें भुलाए ज़माने गुजर गए,
आ जा कि ज़हर खाए ज़माने गुजर गए,
ओ जाने वाले आ कि तेरे इंतजार में,
रास्ते को घर बनाए ज़माने गुजर गए।
एक मुलाक़ात की आस में
मैं ज़िंदगी गुज़ार लूंगा,
तुम हां तो कहो तुम्हारे
लिए उम्र भर इंतज़ार करूंगा।
दिन भर भटकते रहते हैं
अरमान तुझसे मिलने के,
न ये दिल ठहरता है
न तेरा इंतज़ार रुकता है।
ये कह-कह के हम दिल को समझा रहे हैं,
वो अब चल चुके हैं वो अब आ रहे हैं।
आंखों का इंतज़ार तुम पर
आकर ही तो खत्म होता है,
फिर चाहे वो हकीकत या फिर ख्वाब।
वो तारों की तरह रात भर चमकते रहे,
हम चाँद से तन्हा सफ़र करते रहे,
वो तो बीते वक़्त थे उन्हें आना न था,
हम यूँ ही सारी रात करवट बदलते रहे।
किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इंतज़ार को तुम्हें,
बेजुबां है इश्क़ मेरा ढूंढ़ता है खामोशी से तुझे।
खुद हैरान हूँ मैं अपने सब्र का पैमाना देख कर,
तूने याद भी ना किया,
और मैंने इंतज़ार नहीं छोड़ा।
कल भी तुम्हारा इंतज़ार था,
आज भी तुम्हारा इंतज़ार है,
और हमेशा तुम्हारा ही इंतज़ार रहेगा।
कहीं वो आ के मिटा दें न इंतज़ार का लुत्फ़,
कहीं क़ुबूल न हो जाए इल्तिजा मेरी।
एक लम्हे के लिए मेरी नजरों के सामने आजा,
एक मुद्दत से मैंने खुद को आईने में नहीं देखा।
आँखों ने जर्रे-जर्रे पर सजदे लुटाये हैं,
क्या जाने जा छुपा मेरा पर्दानशीं कहाँ।
तुम्हारी यादों पर इख़्तियार हो नही सकता,
लौट आओ के अब इंतज़ार हो नही सकता।
जीने की ख्वाइश में हर रोज़ मरते हैं,
वो आये न आये हम इंतज़ार करते हैं,
जूठा ही सही मेरे यार का वादा,
हम सच मानकर ऐतबार करते हैं।
मुझको अब तुझ से मोहब्बत नहीं रही,
ऐ ज़िन्दगी तेरी भी मुझे ज़रूरत नहीं रही,
बुझ गये अब उसके इंतज़ार के वो दीये,
कहीं आस-पास भी उस की आहट नहीं रही।
हर आहट पर साँसें लेने लगता है,
इंतज़ार भी भला कभी मरता है।
उम्मीद भी बड़े कमाल की चीज़ होती है,
सब्र गिरवी रख इंतज़ार थमा देती है।
.क्यों किसी से इतना प्यार हो जाता है,
एक पल का इंतज़ार भी दुश्वार हो जाता है,
लगने लगते हैं अपने भी पराये,
और एक अजनबी पर ऐतबार हो जाता है।
ये इंतज़ार न ठहरा कोई बला ठहरी,
किसी की जान गई आपकी अदा ठहरी।
ये जो पत्थर है आदमी था कभी,
इस को कहते हैं इंतज़ार मियां।
इंतज़ार के इन लम्हों में,
ज़माना ना जीत जाए,
इंतज़ार करते-करते कहीं,
ज़िन्दगी ना बीत जाए।
तड़प के देखो किसी की चाहत में,
तो पता चलेगा, कि इंतजार क्या होता है,
यूं ही मिल जाए, कोई बिना चाहे,
तो कैसे पता चलेगा, कि प्यार क्या होता है।
कब आ रहे हो मुलाकात के लिये,
हमने चाँद रोका है एक रात के लिये।
हालात कह रहे हैं मुलाकात नहीं मुमकिन,
उम्मीद कह रही है थोड़ा इंतज़ार कर।
किश्तों में खुदकुशी कर रही है ये जिन्दगी,
इंतज़ार तेरा…मुझे पूरा मरने भी नहीं देता।
राह चलते तू औरों का दामन थाम ले,
मगर मेरे प्यार को भी तू थोड़ा पहचान ले,
कितना इंतज़ार किया है तेरे इश्क़ में मैंने,
जरा इस दिल की बेताबी को भी तू जान ले।
आँखें रहेंगीं शाम-ओ-शहर मुन्तज़िर तेरी,
आँखों को सौंप देंगे तेरा इंतज़ार हम।
वादा है खुद से अगर तुम ना
मिली इतना दूर चला जाऊंगा तुझसे,
फिर इंतजार करती रह जाओगी,
कभी ना मिल पाऊंगा तुझसे।
तुम देखना यह इंतज़ार रंग लायेगा ज़रूर,
एक रोज़ आँगन में
मौसम-ए-बहार आएगी ज़रूर।
आँखों के इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया,
चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया,
दिन की वो महफिलें गईं रातों के रतजगे गए,
कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया।
हम इस इंतज़ार में रह गए कि
वो हमें इंतज़ार नही करवाएँगे,
हमें क्या खबर थी कि वो खुद
ही हमारा इंतज़ार कर रहे थे।
उनकी आवाज़ सुनने को बेकरार रहते हैं,
शायद इसी को दुनिया में प्यार कहते हैं,
काटने से भी जो ना कटे वक्त,
उसी को मोहब्बत में इंतज़ार कहते हैं।
इंतज़ार रहता है हर शाम तेरा,
यादें कटती हैं ले ले कर नाम तेरा,
मुद्दत से बैठे हैं यह आस पाले,
कि कभी तो आएगा कोई पैगाम तेरा।
मेरे दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो,
इंतज़ार उसका है जिसे मेरा एहसास तक नहीं।
मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा,
तुम मेरे रूह में समाये हुए हो,
तुमको कैसे मैं भुलाऊँगा।
हाथ कि लकीरों पर ऐतबार कर लेना,
भरोसा हो तो किसी से प्यार कर लेना,
खोना पाना तो नसीबों का खेल है,
ख़ुशी मिलेगी बस थोड़ा इंतज़ार कर लेना।
इक मैं कि इंतज़ार में घड़ियाँ गिना करूँ,
इक तुम कि मुझसे आँख चुराकर चले गये।
आधी से ज्यादा शबे-ग़म काट चुका हूँ,
अब भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है।
लाश को मैंने अपनों के
लिए इंतज़ार करते देखा है,
यकीन मानो, हस्ते खिलते परिवार को मैंने
टूटते बिखरते देखा है।
फिर आज कोई ग़ज़ल तेरे नाम न हो जाये,
कहीं लिखते लिखते शाम न हो जाये,
कर रहे हैं इंतज़ार तेरी मोहब्बत का,
इसी इंतज़ार में ज़िन्दगी तमाम न हो जाये।
उसे भुला दे मगर इंतज़ार बाकी रख,
हिसाब साफ न कर कुछ हिसाब बाकी रख।
जान देने का कहा मैंने तो हँसकर बोले,
तुम सलामत रहो हर रोज के मरने वाले,
आखिरी वक़्त भी पूरा न किया वादा-ए-वस्ल,
आप आते ही रहे मर गये मरने वाले।
आँखों को इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया,
चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया,
दिन की वो महफिलें गईं रातों के रतजगे गए,
कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया।
बस यूँ ही उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले,
कब लौट के आते हैं छोड़ कर जाने वाले।
मेरे मरने के बाद मुझे जलाना मत दफ़ना देना,
जो अगर खोली उसने कभी
कब्र मेरी तो उसे इंतज़ार करता मिलुंगा।
उनकी अपनी मरजी हो,
तो वो हमसे बात करते है,
और हमारा पागलपन देखो क़ि
सारा दिन उनकी मरजी का इंतजार करते है।
दिल जलाओ या दिए आँखों के दरवाज़े पर,
वक़्त से पहले तो आते नहीं आने वाले।
यूँ पलके बिछा कर तेरा इंतज़ार करते है,
यह वो गुनाह है जो हम बार बार करते है।
पलकों पर रूका है समन्दर खुमार का,
कितना अजब नशा है तेरे इंतजार का।
रात भर जागते रहने का सिला है शायद,
तेरी तस्वीर सी महताब में आ जाती है।