500+ बेहतरीन गजल शायरी Ghazal Shayari in Hindi

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

बुझा न दे बेदर्दी से मुझे सुबह होते ही
तेरी ही खातिर तो रात भर जला हुँ मैं

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

कॉलेज की वो सड़क भी अब सुनी हो गई
आ जाओ मिलने अब भी वही खड़ा हुँ मैं

आंधिया लाख रोकती रही मुसाफिर को मगर
वहा से भी दिप मोहब्बत के जला कर चला हुँ मैं

शामिल हुँ अपनों की महफ़िल में भी अजनबी की तरह
यू हर एक से जुड़ कर भी सब से कटा हुँ मैं

ईद तो हम मनाएगे ज़रूर मगर
कही जब हमें नज़र वो आएगे

सड़क भी पूछती है मुसाफिर से क्यों घर जाते नहीं
होगा उन्हें एहसास तो वो फिर लौट कर आएगे

अपनी भी खूब सजती थी महफिले हंसी की
उनसे बिछड कर फिर कभी मुस्कुरा न सके

बहुत फैला चुके नफरत बंद करो अब ज़ुबाँ अपनी
इस दुनिया को अब गीत मोहब्बत का सुनाना है

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

मुझे अपने हाथो अपना मुकद्दर बनाना है
मै क्या हूँ ये सारे ज़माने को बताना है

तुम बीज बो चुके इस चमन में अपनी दहशत के
मुझे भी शांती के फूल यही पर खिलाना है

खून के आंसू रोओगे तुम भी तन्हाई में
न लगाओ तस्वीर मेरी अपनी दीवार के साथ

आज भी रुका हूँ मै उसी सुनी सड़क पर
इसी उम्मीद पर के लौट कर वो आएगे

ऐ चाँद रोक दे अपनी रफ़्तार कुछ पल के लिए
आज वो घर अपने बरसो बाद आया है

तुम तो भूल गए होगे कोई मिला था राहो में
अब भी तन्हाई में तुम ही को सदा देता हूँ मै

उसकी मुसीबत में भी कर देता हूँ मदद
यू अपने दुश्मन को सज़ा देता हूँ मै

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

देख कर मुसाफिर को करते है लोग चर्चे तेरे
यू खुद की हस्ती को मिटा देता हूँ मै

रहबर बना लो मुझ को ताकि आगे चल सकू
आसान होगा फिर तुम्हें पीछे से वार करना

मै मुसाफिर हूँ न ज़िद करो मुझे रोकने की
चलना मेरी फितरत है,पसंद नही इंकार करना

तुम तो कहते हो दुनिया सिमट कर रह गई मुसाफिर
तुझे शायद पता नहीं अपने बन कर अनजाने रह गए

कभी किताबो में पढ़ा था लैला-मजनू को हम ने
कहा है वो अब जो इश्क में खुद को मिटा देते है

मुसाफिर हूँ मै दुश्मनी न करो मुझ से
हम सजा नहीं देते मगर नजरो से गिरा देते है

उडा कर मजाक मेरा चौका दिया उस ने मुझे
क्या कमी है मुझ में यही अक्सर सोचा करता हूँ

मुसाफिर से क्या थी शिकायत कभी बताया तो होता
ज़माना भी है शाकी मुझसे मगर मै फ़िक्र कहा करता हूँ

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

मुझे कब तक यू पसो पेश में रखोगे तुम
मेरे नहीं हो तो क्यों मुझे बताते नहीं

यू चुपके से तन्हाई में तेरा सितम याद आया है
बरसो बाद सही मगर मेरा सनम याद आया है

अपना समझ कर खुशिया लुटाते रहे हम हर एक पर
उनके लिए है हम पराए ये समझ में आज आया है

अपने गमो का कब किसी को पता देता हूँ मै
चोट लगती है तो खुल कर मुस्कुरा देता हूँ मै

आज मेरे लरज़ते होंठों की लाज रख ले ऐ खुदा
मुश्किल में कभी तेरे सिवा किसी को पुकारा नहीं

मुसाफिर शाम हुई तुम क्यों घर अपने जाते नहीं
तुम ने ही तो वक्ते रुख्सत उस को पुकारा नहीं

वो मुझ से मिलने फिर कभी आ ना सके
मुकद्दर है अपना सदा इन्तिज़ार करना

ये देश तो मशहूर था मोहब्बत के लिए जग में
लगता है यहाँ अब सिर्फ नफरत फैलाने वाले रह गए

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

वो खोल रहा है हर राज़ सर-ए-आम महफ़िल में
जिसे बताया था हर राज़ अपना ऐतबार के साथ

हम दाग अपनी बेवफाई का मिटा न सके
लाख की कोशिशे मगर उनको भुला न सके

इस चमन में है शामील खून मेरे बुजुर्गो का
और तुम कहते हो इस पर हक़ तुम्हारा नहीं

क्यों रो कर शिकायत करते हो कोई हमारा नहीं
माँ के साये से बढ़ कर जग में कोई सहारा नहीं

जिस सिम्त देखिये अँधेरे है नफरतो के
डूब गया सूरज मोहब्बत का उजाला न रहा

तुम थे तो न था खौफ तुफानो का मुझे
था जो अपना अब वो किनारा न रहा

जा रहा है इस बस्ती से कोई मुसाफिर
वही जिस से तुमको शिकवा अक्सर रहा

कोई किसी का नहीं होता इस जहा में
ये सबक हम को वक्त ने सिखाया है

Ghazal Shayari in Hindi (गजल शायरी स्टेटस)

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

अब न सदाओ में मेरी वो असर रहा
अरसा हूआ वो हालत से मेरी बेखबर रहा

आसान राहो से गुज़रना गवारा नहीं मुझे
हमेशा काटो भरा मेरा हर एक सफ़र रहा

.

ये सिला इश्क का आज हम ने पाया है
जिसको हंसाया था सदा उस ने ही रुलाया है

जिस की वजह से छोडना पड़ा शहर हम को
उसी को इस दिल में हम ने बसाया है

तबाही से बचना मुश्किल होगा यारो
यही हाल वतने अज़ीज़ का अगर रहा

वो रोज़ देता है मुसाफिर को परिंदों की मिसाल
साफ़ क्यों कहता नहीं शहर छोड़ जाने के लिए

मै तो मुसाफिर हूँ चला जाऊंगा कही भी सवेरे
अपनी फ़िक्र वो करे जिस ने घर बसाया है

वो मौज़ू बदल देता है अपनी बात का अक्सर
जब पूछता हूँ इस कदर क्यों मुझको सताया है

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

खुश हो तुम खून कर के मेरी हसरतो का
हम है के तुझे जीने की दुआ देते है

तुफानो में घिरा हूँ कश्ती पार लगा दे मौला
मुश्किल वक्त में हम तुझ ही को सदा देते है

तुम ने मंजिले तो पा ली मगर फासले रह गए
अंधेरा छा गया तन्हा उजाले रह गए

तुम यू ही तनहा छोड़ गए मुसाफिर को घर अपने
मुझे यहाँ से अपना रास्ता अब खुद बनाना है

अरसा हुआ तुमको नफरत की आग उगलते हुए
क्यों गीत दुनिया को मोहब्बत का सुनाते नहीं

बच्चो पर ना लादो किताबो का बोझ अभी से
इन मासूमो को खिलौना दे कर क्यों बहलाते नहीं

मिले भी राह में वो मुसाफिर तो यू मिले
नजरो से की बात दिल की लब हिला न सके

कहने को तो अपने बेशुमार है इस शहर में
हम को अपना कहता था जो वो अपना न रहा

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

तेरे शहर के लोगो से कोई सरोकार नहीं मुझे
तेरी ही खातिर मगर मै सब से मिला करता हूँ

तू ने फिर कभी आ कर देखी न हालत मेरी
आज भी मै सजदो में तेरे लिए रोया करता हूँ

तेरे शहर ने मुझे छत से नवाज़ा है
ये तेरा शहर छोड़ कर हम न जाएगे

इस नफरत की सल्तनत में मुसाफिर अब न ठहरेगा
हूकूमत में मोहब्बत की घर हम अपना बसाएगे

जा रहा हूँ रूठ कर ये सलाम आखरी है
वक्त हूँ मै तेरा अब लौट कर ना आएगे

जिद छोड़ दो हम को यू रुलाया न जाएगा
तुम से भी हाल अपना यू सुनाया न जाएगा

हर दौर में ये किस्से दोहराए जाएगे
कातिल तो नही मगर बेगुनाह सजा पाएगे

शायर हूँ मै न शायरी आती है मुझे मगर
कुछ शेर लिखे है तुम को सुनाने के लिए

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

धोका ही देना था तो नज़रे मिलाई क्यों थी
यू छोड़ न तनहा मुझे राह में अफसाने के लिए

किसी और को भी होगी शायद जुफ़्तजु तेरी
एक जमाना और था इस जमाने से पहले।।

कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख,
तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ।

पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तो,
रस्म-ओ-रह-ए-दुनिया ही निभाने के लिए आ।

दर्द-ए-दिल अपना सुनाता हूँ कभी जो एक दिन;
रहता है उस नाज़नीं को दर्द-ए-सर दो दिन तलक;

मेरे पास 8 समोसे थे जो मैंने खा लिए;
1 तेरे आने से पहले 7 तेरे जाने के बाद;

कल जो जाना मैंने तुम्हारा प्यार, तब वक़्त ने न दिया मेरी किस्मत का साथ, फिर मेरी याद मैं तब महल बनाओगे तुम, फिर यही ग़ज़ल लिखोगे तुम..!

तू मेरे मन मे समा जाए तो कोई बात बने
कभी मुझे अपने दिल की बात बता जाए कोई बात बने

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

तुम न आये एक दिन का वादा कर दो दिन तलक;
हम पड़े तड़पा किये दो-दो पहर दो दिन तलक;

न रोया कर सारी सारी रात किसी बेवफा की याद में, वो खुश है अपनी दुनिया मैं तेरी दुनिया को उजाड़ कर.!

हर एक हर्ष का आनंद बदल रखा है, आज से हमने तेरा नाम गजल रखा है!

और खुल कर घूम रहे है वो लोग जो जिस्मों से खेलते है
हमने तो रूह से मोहब्बत की थी फिर भी ना जाने कितने गम हमारे हिस्से जोड़ दिये गये

और हम नहीं रह सकते उसके बिना
ये जिस्म तुम ले जाओ मगर मेरी रूह को उसकी कब्र पर रहने दो

गरीबी में भी हमें पालती रही शहज़ादों की तरह
अपना नया जोड़ा बनाने में माँ को ज़माने लगे है

वो चले आते है तसव्वुर में शाम के ढलते ही
दीद तो होती है मगर अब मुलाक़ात नहीं होती

तू भी डुबो ले कलम मेरी हसरतो के खून में वरना
मोहब्बत के अफसाने में फिर सुर्खी की कमी रह जाएगी

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

आँखों का ये सवाल रहा सदा मुझ से
क्यों बात बे बात मुझे रुलाता है कोई

वो यू छोड़ता न लाकर मुझे मंझधार में
उसे किसी ने ज़रूर पाठ धर्म का पढाया होगा

आज वो समझा रहे थे फलसफा मोहब्बत का ज़माने को
क्या उन्हें अपना सितम आज भी याद न आया होगा

वो भी खूब रोया होगा तन्हाई में मुसाफिर
जब किसी ने सवाल बेवफाई का उठाया होगा

हालात के तूफ़ान जब मुझे कभी सताने लगे है
लफ्ज़ दुआ के फिर माँ के लबों पर आने लगे है

एक घर है मेरा पुराना सा जिसमे उनकी कुछ यादें है
उनकी यादों के साथ वो घर जन्नत सा लगता है

एक रोज उनकी यादों से भी दूर हो गया
वो शख्स अब् मेरा हो कर भी मेरा नहीं लगता है

अगर तुम न होते तो ग़ज़ल कौन कहता! तुम्हारे चहरे को कमल कौन कहता! यह तो करिश्मा है मोहब्बत का! वरना पत्थर को ताज महल कौन कहता!

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

माँ ने गुज़ार दी उम्र अपनी सारी मेहनत करते
देख कर कमाई मेरी अश्क आँखों से निकलते रहे

हुआ जो नसीब उसे साया मुद्दतों की धूप के बाद
लोग मेरी माँ को मुस्कुराता देख कर जलते रहे

बहुत याद आते है न जाने वो क्यों इतना याद आते है, उसकी सूरत आँखों से क्यों नहीं निकल पाती है, जितना भुलाऊँ उसको उतना याद आती है ..

कई फूल और भी है जमाने मे ऐ राज
तू हर किसी को न अपना बना आजमाने से पहले।

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम,
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ।

अब तो हँसते है बालों के खेजाब मेरे
कहते है कि क्यू संवरता है उनके आने के पहले।

नींद ही नहीं आती मुझे सोने के बाद;
नज़र कुछ नहीं आता आँखे बंद होने के बाद;

मुकम्मल हो ही गई आखिर आज जिंदगी की ग़ज़ल, मेरे महबूब ने भी उसको पढ़कर वाह-वाह बोला है..!

Ghazal Shayari in Hindi (गजल शायरी स्टेटस)

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

उठाए जो हाथ माँ ने दुआओं में मेरी खातीर
सब ग़म मेरी किस्मत के फिर मुँह छुपाने लगे है

रुके है उस मोड़ पर, की वो लौट कर आएंगे
हमे पता है की भ्रम है हमे इस भ्रम मे रहने दो

हम उसे भूल कर भी भूल नहीं सकते
ये खुदा तु सब मिटा दे, बस उसकी एक तस्बीर मेरे पास रहने दो

बुरे वक्त मै क्यों फिर तुझे दुआए न दू
अपने-पराए का फरक तू ने मुझे बताया है

रोते बच्चो को वो खिलोने भी दे न सका
इस तरह गरीबी ने उस का मजाक उडाया है

जा रहा है मुसाफिर छोड़ कर ये शहर तेरा
आ जा मिलने, न जाने कल कहा अपने ठिकाने होगे

रोते बच्चो को वो खिलोने भी दे न सका
इस तरह गरीबी ने उस का मजाक उडाया है

दामन में अपने समेट लेना गम मेरे
अपना समझ कर ही बोझ तेरा बढाया है

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

बुरे वक्त मै क्यों फिर तुझे दुआए न दू
अपने-पराए का फरक तू ने मुझे बताया है

दामन में अपने समेट लेना गम मेरे
अपना समझ कर ही बोझ तेरा बढाया है

गरीबी की शिद्दत से ये रोटी जली है मगर
मुफलिसी में यही तोहफा उठा लाया हूँ मै

आंसू ना बहा गम न कर मेरी जुदाई का
ये आंसू तुझे हंसी में अपनी छुपाने होगे

मेरी देश भक्ति पर उंगलिया उठाने वालो
इसी का मतलब तुम से पूछने आया हूँ मै

वो कातिल है मेरी हसरतो का मगर
मुझ से ज़ख्म उस को दिया नहीं जाता

गम उठाते रहे हम सदा उस की खातिर
उस से अब ख़त भी मेरा लिया नहीं जाता

ये चार यारो के कंधे आखरी सवारी है मुसाफिर की
हम जा रहे है वहा फिर वापस आया न जाएगा

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

ज़माना तडपाता रहा उम्र भर हर ख़ुशी के लिए
किसी को यू हम से सताया न जाएगा

साथ तेरे गम का ना मिला होता अगर
तो फिर एक पल भी हम से जिया नहीं जाता

गरीबी की शिद्दत से ये रोटी जली है मगर
मुफलिसी में यही तोहफा उठा लाया हूँ मै

मेरी देश भक्ति पर उंगलिया उठाने वालो
इसी का मतलब तुम से पूछने आया हूँ मै

मौका दिया है तो आज इन्हें बरस जाने दो
बरसात अश्को की आँखों में थमी रह जाएगी

गम न कर मुसाफिर के शहर से जाने का
तेरे अफसाने को बाकी मेरी ज़िन्दगी रह जाएगी

दी अहमियत उस को मैं ने खुद से बढ़ कर हमेशा
उस के दीद के ख़ज़ाने से अब मेरे लिए खैरात नहीं होती

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

आँखे बहती रहती है रात भर यू ही बदस्तूर
अचानक रात गए जब याद आता है कोई

वो मुहाजिरो को तसल्ली दे रहा था मुसाफिर
उसे क्या खबर कि उस के शहर से जा रहा है कोई

जब चला होगा कही ज़िक्र बेवफाई का
फिर कैसे खुद को इस इलज़ाम से बचाया होगा

आज लफ़्ज़ों को मैंने शाम की चाय पर बुलाया है, बन गयी बात तो ग़ज़ल भी हो सकती है..!

भूल जा तू भी मुसाफिर को घर बसा ले अपना
कुछ न होगा हासिल तुझे आंसू बहाने से

मै खुद हूँ कातिल अपनी मोहब्बत का
शिकवा कैसे करू फिर सारे ज़माने से

खून निकले तो ज़ख्म लगती है
वरना हर चोट नज़्म लगती है

धीरे-धीरे ज़रा दम लेना
प्यार से जो मिले गम लेना
दिल पे ज़रा वो कम लेना

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

चंदन काठ के बनल खटोला
ता पर दुलहिन सूतल हो।

गुफ़्तुगू करते हैं बाहम जाम-ओ-पैमाना अभी
क़ाबिल-ए-तरमीम है आईन-ए-मय-ख़ाना अभी

सुरमे से लिखे तेरे वादे
आँखों की जबानी आते हैं
मेरे रुमालों पे लब तेरे
बाँध के निशानी जाते हैं

उम्मीद तो नही
फिर भी उम्मीद हो
कोई तो इस तरह
आशिक़ शहीद हो

ऐसा कोई ज़िंदगी से वादा तो नही था
तेरे बिना जीने का इरादा तो नही था

गुल पोश कभी इतराये कहीं
महके तो नज़र आ जाये कहीं
तावीज़ बनाके पहनूं उसे
आयत की तरह मिल जाये कहीं

तू समझता क्यूं नही है
दिल बड़ा गहरा कुआँ है
आग जलती है हमेशा
हर तरफ धुआँ धुआँ है

प्यार में अज़ीब ये रिवाज़ है,
रोग भी वही है जो इलाज है

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

अगर मैं भी मदहोश हो जाऊं जो तेरी सोख शरारत से,
तो इस बात का खयाल मत करना।

माना कि मेरी हसरतों के पर अब उड़ान में है तू,
आज भी इससे वाकिफ़ नही है ।

बदल गया है अब तो तुझसे रूबरू मिलने का मौसम,
गुजारिश है पिछले साल में मत रहना।।

माना कि बीमार है सारा शहर तेरे दीदारे हुस्न की,
सबको आज भी तेरी आरजू है।

तुमसे बिछड़े हुए एक जमाना हो गया है
लगता है कि तू अब किसी और का दीवाना हो गया है

मेरी खामोश निगाहों के इशारे समझो,
वरना होंठों से मैं इज़हार नहीं कर सकती।

हिम्मत अब भी है अंदर,
बस थोड़ी सी और बढ़ा दे,
बिना रुके निरंतर चलता रहा,
ए ज़िन्दगी तेरे लिए।

जाना कहाँ है सपनों की खातिर,
बस वो राह दिखा दे,
दर दर झुकाया सिर गैरों के आगे,
ए ज़िन्दगी तेरे लिए।

Ghazal Shayari in Hindi [बेहतरीन गजल शायरी]

 Ghazal Shayari in Hindi (बेहतरीन गजल शायरी)

उड़ने देना बेपरवाह अपनी जुल्फों को कौन,
घायल होगा इस बात पर सवाल मत करना।

रिश्तेदारों से झगड़ना मेरी फितरत में नहीं,
घर की अंगनाई में दीवार नहीं बन सकती।

जी चाहता है तुमसे लिपटकर सब कुछ तुमपे लुटा दू
मगर अफशोस बहुत दूर तुमने आशिया बना लिया है

तुमसे बिछड़े हुए एक जमाना हो गया है
लगता है कि तू अब किसी और का दीवाना हो गया है

तुझ से बिछड़ कर
कब ये हुआ कि मर गए,
तेरे दिन भी गुजर गए
और मेरे दिन भी गुजर गए ।

देखा जाता नही है उसका यू बिखर जाना
बड़ी तकलीफ होती है उसकी यू खबर आना
माना कि जख्म गहरा उसके सीने लगा है.

सालों बाद मिले वो
गले लगाकर रोने लगे,
जाते वक्त जिसने कहा था
तुम्हारे जैसे हज़ार मिलेंगे

गिन के देता है बला-नोशों को पैमाना अभी
वाक़ई बिल्कुल गधा है पीर-ए-मय-ख़ाना अभी

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